महामारी दिवस,महामारी पर चर्चा क्यों इतना ज़रूरी in Hindi
आज हम बहुत ही आवश्यक बात पर चर्चा करने वाले है उससे पहले हमें ये समझना जरूरी है कि क्यों इतना आवश्यक है इस विषय पर चर्चा करना ।
स्वागत है आपका uveeright पर आज 28 मई है आज पूरे भारत में ये दिन महामारी दिवस के नाम से जागरूकता की दृष्टि से मनाया जा रहा है। ये विषय आधुनिक भारत की दृष्टि से जितना आवश्क है उतना संजीदगी भरा भी है।
महामारी पर चर्चा क्यों इतना ज़रूरी
जैसा कि हम जानते है कि वर्तमान समय जहाँ आज हम आधुनिक भारत के सपने देख रहे है वही हम अभी भी मासिकधर्म संबंधित जैसी समस्याओं पर चर्चा करने से हिचकिचाहट महसूस करते है । जब हम इन्ही समस्याओ से ही जूझते रहेंगे तो कैसे आधुनिक भारत का सपना देख सकते है । महिलाएं ही विश्व जननी है यदि वही ही स्वयं आत्मनिर्भर नही होंगी , स्वयं को सम्मानित महसूस नही करेंगी तो आधुनिक भारत का सपना भी अधूरा ही माना जायेगा । अब जहाँ तक बात है महिलाओं की आत्मनिर्भरता की जिस समय से स्त्री पुरुष को एक मनुष्य के भांति समझा जाएगा महिलाओं को भी उनकी मर्जी से बराबरी का हक मिलना शुरू हो जाएगा महिलाएं खुद ही आत्मनिर्भर होने भी लगेंगी और महसूस भी करेंगी।
महामारी एक ऐसी समस्या है जिस पर शुरुवाती समय से ही शरमाहत और हिचकिचाहट का विषय मान लिया गया है जिसमे चुप रहो , शांत रहो , किसी को मत बताना जैसे शब्द शामिल है । कभी कभी तो महिलाएं कोई समस्या होने पर भी डॉक्टर से इलाज नही करवाती केवल मिथ्या और सच कहा जाए तो सामाजिक माहौल की वजह से भी , जिसमे कभी कभी तो समस्याएं इतनी गंभीर हो जाती है कि महिलाएं कई बीमारी को झेलती रहती है या कितनो की तो जान भी चली हाती है ।
अब जब बात आती है अपनी पीड़ा को सबके समक्ष रखने की तो कई ऐसे एन 0जी 0 ओ0 , सामाजिक संस्थान जिसमे सरकारी और गैर सरकारी संस्था भी शामिल है जो महिलाओं की इस पीड़ा को कम करने उनको समझने में कार्यरत है लेकिन इन सब में महिलाएं पुरुष प्रधान से इस बात पर चर्चा करना पसंद नहीं करती जिसमे देखा जाए कोई बड़ी बात नही है आज हम कहते है कि हमे महिला पुरुष के अंतर को कम करने के लिए ये सब ज़रूरी है हमे बिना किसी शर्म और हिचकिचाहट के साथ सभी के साथ अपनी बात रखनी चाहिए । लेकिन देखा जाए तो इतना महिला पुरुष होने का सबसे बड़ा कारण महिला अशिक्षा , पुरुष डॉक्टर की संख्या में वृद्धि महिला डॉक्टर की अपेक्षा। महिला शिक्षा पर ध्यान दिया जाए तो ये सब अंतर स्वयं ही समापत हो जाएंगे आवश्यक है " हम मनुष्य जाति की शिक्षा पर विशेष ध्यान दे"
शिक्षा का महत्व
कही न कही अशिक्षा महिला पुरुष का अंतर जो अपना मार्ग भटक कर हर चर्चा का केंद्र बन जाती है । यदि हम एक शिक्षित मनुष्य (व्यक्ति) का सपना देखे तो स्वत ही सभी अंधविश्वास हिचकिचाहट जैसी समस्याएं समाप्त होने लगेंगी।
क्यों ज़रूरत पड़ी मासिक धर्म दिवस की
मासिकधर्म की समस्या के लिए एक दिन मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी क्या ज़रूरत थी कि इस जागरूकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मंचन तक किये गए क्योंकि ज़रूरत थी क्योंकि उन महिलायों को बचाया जा सके जो अपने दर्द को बिना किसी को बताए सह जाती है , कितनी ही महिलाओं को चुप रहने के कारण अपनी जान तक गवानी पड़ी क्योंकि बड़ी बड़ी बीमारियां वह गोपनीय ढंग से झेल रही थी। जिसमे महिलाओं का अहित छुपा हुआ था । जिसे समझते हुए कई महिलाओं ने हिम्मत से काम लेते हुए अपने दर्द को बिना हिचकिचाए समाज के सामने रखा, जिसमे गेनोलॉजिस्ट सामाजिक संस्थाओं के अथक प्रयास से महिला को जागरूक करने का काम किया जा रहा है वो भी पूरे सम्मान के साथ लेकिन अंत में शिक्षा से असंभव दिखने वाले काम भी संभव होने लगते है। तो शिक्षा सबसे ज़रूरी है।
महामारी और स्वास्थ्य
महामारी एक मासिक चक्र है जो प्रति माह किसी महिला को होता है जिसमे महिलायो को दर्द और अन्य समस्याओं से भी जूझना पड़ता है ।इसमे महिला यदि अत्यंत दर्द या असामान्य सी समस्या महसूस कर रही है उसे अपनी गेनोलॉजिस्ट से ज़रूर परामर्श लेना चाहिए।इसके अतिरिक्त सनेटरी पैड का इस्तेमाल करना
बढ़ती आधुनिकता के साथ मिलावटी भोजन, ज़्यादा फैटी भोजन, और मासिक चक्र संबंधित समस्याओ को बढ़ावा दे रही है इस समय इकोफ्रेंडली भोजन हमारी पहुँच से और दूर होता जा रहा है।हमे कोशिश करना चाहिए कि ज़्यादा से ज़्यादा हरी सब्जियों , मिल्क , छाछ जैसी चीज़ों का ज़्यादा प्रयोग किया जाए ।
धन्यवाद !

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