Header Ads

Post update

एजुकेशन स्कैम या नीट & क्लीन in hindi

शिक्षा किसी भी देश के भविष्य निर्माण का सबसे बड़ा हथियार है जिसके माध्यम से किसी भी देश के बेहतर भविष्य की कल्पना की जा सकती है परंतु जब यही शिक्षा न्याय के लिए  चक्कर काटने लगे तो ये कहना गलत नही होगा की शिक्षा से देश नही सरकार से शिक्षा है ।  कुछ ऐसा ही हाल हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था का है जो कही न कही राजनीति की भेंट चढ़ती जा रही है  आज हम इसी बेहद संजीदा विषय पर चर्चा करेंगे। 




स्वागत है आपका uveeright पर आज हम बेहाल हो चुके शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करने वाले है जो की पूरे देश के बालक बालिकाओं ,नवयुवकों  के भविष्य को संवारने का ज़िम्मा अपने कंधो पर है आज वही बेहद खराब दौर से गुजर रही है। ये कहना गलत नही होगा की जिसके हाथो में पूरे देश के बालक बालिकाओं का भविष्य है आज वही राजनीति की कटपुटली बनती जा रही है । आज ज्यादातर फैसले छात्रों के हित के लिए कम सरकारों के हित के लिए लिए जा रहे है ।

हमारा प्यारा भारत टेक्नोलॉजी उद्यम क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। लेकिन आज हमारे देश के अंदर ही शिक्षा व्यवस्था बेहद विकट परिस्थितियों से जूझ रही है कहना गलत नही होगा जिस तरह से आज हर परीक्षा का पर्चा लीक हो रहा है वो बेहद ही कष्टकारी है खासकर उन उम्मीद वारो के लिए जो की  बेहतर भविष्य  बनाने अथवा अच्छी नौकरी के लिए रोज़ अपनी परीक्षा के लिए तैयारी करते है की कब परीक्षा हो और वह अपनी मेहनत की कमी के कारण ये मौका उनके हाथ न चला जाए। 
परंतु आज बदहाल शिक्षा  व्यवस्था राजनीति की भेट चढ़ता जा रहा है । जो की कही न कही देश के इतिहास में शिक्षा व्यवस्था के सबसे खराब दौर में गिना जाएगा। 
 इसमें गौर करने वाली बात यह  भी है की क्या पर्चा पहले लीक नही होते थे , परंतु आज जिस तरह हर परीक्षा का पर्चा लीक हो रहा है वह शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति को समझने के लिए काफी है जिसमे नीट प्रवेश परीक्षा परिणाम में हुई धांधली सबसे बड़े प्रमाण में से एक है जिसमे परीक्षा का पर्चा पहले से लीक और अंक प्रणाली में भी धांधली का मामला सामने आ रहा है । ये सबसे बड़ी धांधली बनकर तब उभरी जब एक साथ 67 टॉपर जिसमे की 6 टॉपर एक ही सेंटर के बताए गए वही परीक्षा सेंटर को भी इसमें दोषी होने की बाते सामने आई अंक प्रणाली में भी अनुचित ढंग से ग्रेस अंक बढ़ाए गए जिससे छात्र छात्राओं ने अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए धरना प्रदर्शन किया वही जब ये धरना प्रदर्शन चल रहा था उसी बीच नेट की परीक्षा का पर्चा भी लीक होने की बात सामने आई ।इसके अलावा BPSC प्राइमरी टीचर, आर. ओ. , पुलिस जैसे कई परीक्षा के पर्चे एक वर्ष के भीतर ही लीक हुए है जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नाकामयाब नज़र आ रही है। जिसमे कई तरह से राजनीति हो रही है लेकिन क्या बार बार परीक्षा पेपर लीक होना बयानबाजी करने से छात्र छात्राओं को उनका समय उनकी मेहनत लौटाई जा सकती हैं जो की वही इतने दिनो से एक बेहतर नौकरी की तलाश में करते आ रहे है कुछ के लिए ये उनका आयु सीमा के अनुसार अंतिम मौका भी हो सकता है कईयो  की परिवार की जिम्मेदारी उनके ही कंधो पर है जो सरकारी नौकरी कर अपने अथवा अपने परिवार का सपना पूरा करना चाहते है । वही महिलाओ को जो समस्याएं आती है वह भी एक मुद्दा है यह एक परीक्षा दिलवाने के लिए उनके परिवार से कोई न कोई अपना काम काज छोड़ कर साथ चल पड़ते है इस उम्मीद से की परीक्षा में पास हो गई तो अच्छी नौकरी मिल जाएगी । लेकिन जब यही छात्र परीक्षा के लिए सेंटर पर जाते है तो पता चलता है की पेपर तो पहले ही आउट हो चुका है ऐसा एक बार नही बार बार हो रहा है जिससे उन छात्रों की भावना के साथ खिलवार पिछले कुछ सालों से ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था में दोहराता हुआ नजर आ रहा है जो कि बेहद कष्ट कारी  है। जो की कही न कही राजनीति की भेंट चढ़ चुकी है । 


एक ये भी समस्या - 

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 


 न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020  जो सुनने में तो बहुत अच्छी लग रही थी जिसके दूरगामी परिणाम अच्छे भी हो सकते है परंतु क्या इसे लागू करने का समय सही था देश कही न कही कोरोना काल से जूझ ही रहा था वही ऐसे बिगड़े हालातो में क्या इस पॉलिसी ने और समस्याओं को बढ़ा तो नही दिया ये बेहद ही जरूरी प्रश्न है क्योंकि आज जो हम शिक्षा के इतने खराब दौर से गुज़र रहे है इसमें नव युवक के पास डिग्री तो है परंतु अव्यवस्था के अभाव में वो ज्ञान नही है जैसा कि  2020 एजुकेशन पॉलिसी द्वारा गढ़ा गया था। परीक्षा  का समय पर न होना या समय से पहले ही हो जाना, अगले वर्ष क्या होगा छात्र छात्राओं को उसका भी ज्ञान नहीं अनियमितता से जूझते छात्र वहा से निकले तो मेजर - माइनर में फस जाते , जिनको अभी तक यह पता था की हम किसी भी वर्ष में अपनी पसद का विषय का चुनाव कर सकते है । व्यवस्था का  कुछ भी पता नहीं ये कहानी 2021 स्नातक में एडमिशन लिए हर छात्र छात्राओं की है । जो की कही न कही एक्सपेरिमेंट की भेंट चढ़े है । 
वही इन छात्र छात्राओं की समस्या यही कम नही होती अभी तो 75% के पहाड़ को भी चढ़ना है जिनको अंक बंधनों से मुक्ति दिलाने की बात शिक्षा नीति के भाषणों में कही गई लेकिन क्या ये जटिल प्रतिस्पर्धा का सबक नहीं बनेगा। फिर भी यदि लागू होता भी है तो  एजुकेशन केंद्र यूनिवर्सिटी  इतने सक्षम है की छात्र छात्राओं का सही ढंग से मूल्यांकन कर सके क्या ऐसे उपकरण अभी उपलब्ध है जिससे यह साबित किया जा सके की कौन छात्र सही उम्मीदवार है व्यवस्था दुरुस्त किए बिना  मूल्यांकन और चुनाव करना  अभी जल्द बाज़ी हो सकती है क्योंकि कई बार परीक्षा परिणाम में गड़बड़ियां नजर आती रही है। । चुकी सरकारें शिक्षा चलती है तो सब कुछ ठीक है। 




धन्यवाद !


No comments