इंसाफ के लिए बिलख्ता कोलकाता
देश के कोलकाता शहर में 9 अगस्त देर रात हुई महिला डॉक्टर मामले में आज जिस देश को एक बड़े आंदोलन को चलाने की आवश्यकता पड़ रही है यह देश की बेहद दयनीय स्थिति को दर्शाने के लिए लिए काफी है।
जहा आज इतने मुश्किल समय में युवा सिनेमा हॉल में जिस तरह अभिनेताओं के कैरियर में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उससे हम देश के भविष्य का अंदाजा लगा सकते है।
तुम आज़ाद नहीं जब तक तुम्हारे ख्वाब आजाद न हो,
तुम आजाद नही जब तक तुम्हारे शब्द बेबाक न हो
आसमा में उड़ते तो पक्षी हज़ार है पर आजाद नही,
बंधी है पैरो में हजारों अनकही सी बेड़ियां जो दिखती नही, खुदकी स्वतंत्रता का क्यों तुम्हे आभास नही ,
तुम उठो खुद पर विचार करो
किसी दूसरे की मर्जी के तुम मोहताज नही।
कुछ इन्हीं शब्दो की तलवार से उठ खड़ी हुई महिला एक बार फिर डर और दर्द के साय में सहमी सी नज़र आ रही है ।
अब ये सब शब्दो के कोई मायने नहीं रखते जहा इंसाफ व्यवस्था डर के साए में काम कर रही है।
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आज शब्द तो आज़ाद है पर कानून अंधा और बेहरा हो चुका है आज ख्वाब आजाद तो नज़र आ रहे है पर सुरक्षा विकलांग है। हमारा प्यारा भारत जिसे वीर सैनिकों ने अपने जीवन के बलिदान से आज़ाद कराया आज वही रोज़ किसी न किसी प्रोटेस्ट की आग में जलता नजर आ रहा है ।
आज देश में कही न कही किसी न किसी कारण से आंदोलन होना तो आम सी बात है फिर मामला चाहे कितना भी संजीदा क्यों न हो एक आलोचक जब अपनी नाराज़गी जाहिर करने अपनी बात रखने में हिचकने लगे है ऐसे में हम क्या ही आशा कर सकते है की किसी समस्या का कोई हल निकलेगा मामला कुछ दिन तक प्रकाश में आने के बाद स्वत ही दब जायेगा या दबा दिया जायेगा कहना गलत नही है । ऐसे है बेहद डरा देना वाला मामला कोलकाता में भी हुआ है जिसमे महिला डॉक्टर के साथ हुई बेहद शर्मनाक घटना 9 अगस्त को सामने आई जिसमे महिला के साथ हुए रूह कपा देने वाली घटना जिसमे एक जीवन दायनी महिला डॉक्टर के साथ कई लोगो ने मिलकर उसकी अस्मिता को तार तार कर कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया । यह घटना इतनी दर्दनाक है यह घटना इतनी बर्बरता से अंजाम दी गई की इसे शब्दो में बयान कर पाना मुश्किल है । फिर कुछ दिनों बाद उत्तराखंड लखनऊ के पीजीआई, वही एक छोटी बच्ची के बारे में भी ऐसी ही घटना प्रकाश में आई ये घटनाएं मन को तब झिंझोर कर रख देती है जब पता चलता है की कोलकाता में महिला डॉक्टर मामले में मेडिकल रिपोर्ट काफी नही पड़ी । जिस मामले को 15 अगस्त के पहले ही एक ऐतिहासिक न्याय के रूप में दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए था ।आज वही मामला सीबीआई जांच पड़ताल और न जाने कितनी जांच से गुजर रहा है । विडंबना की बात तो तब है जब देश भर में कहने को तो आंदोलन चल रहे है वही फिल्मे सिनेमा हॉल में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। युवा सिनेमा हॉल में गुम है। साधारण तौर से कश्मीर चुनाव पर भी विचार चल रहा है सारा गणित तो इस बात से भी समझा जा सकता है सब सो रहे है । सब राजनीतिक ढंग से अपनी बात रख खेद व्यक्त कर रहे है अभी हफ्ते भर के बाद आपका अपना सोशल मीडिया रिफ्रेश सा नजर आएगा । यह अनुमान लगा पाना मुश्किल नहीं है की सब यूंही चलता रहेगा। हम बांग्लादेश के लोगो के लिए इतने चिंतित हैं की अपने देश में बर्बरता किसी को दिखाई नही दे रही ।
जनता जनार्दन
जो जनता 1,2 दिन में एक में पूरे देश के समीकरण बदल देने का दम रख देती हैं आज वह गूंगी नजर आ रही है। कोई एक जुट नही है आज डॉक्टर अकेले अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है और बाकी सोशल मीडिया पर नपे तुले शब्दो में बयान दर्ज कराने में लग गए है । मगर गलती किसी की नही कही जा सकती क्योंकि आवाज़ दबाई जा रही है।
आप सभी सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा तो निकाल रहे है, कुछ स्कूल कॉलेज एक दो प्रोटेस्ट मार्च निकाल कर अपने अपने काम पर लग जाने वाले है सब रोज की ही तरह है। और हां जनता के दबाव में हमे एक बड़े स्लोगन से साथ न्याय देने की बात कही जाएगी । और फिर सब चलता रहेगा। क्योंकि जो न्याय तत्काल प्रभाव से मिलने चाहिए है उनकी आज जांच पड़ताल चल रही है। आगे अन्य मामले यूं ही चलते रहेंगे ।
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