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सरकारी नीति और शिक्षा व्यवस्था

 भारत वर्तमान में  70 सालों में जिस तरह आगे बढ़ रहा था धीरे धीरे ही सही , लगता है अब उतना ही पीछे जा सकता है। इसका अनुमान हम उसकी वर्तमान नीतियों को देख कर लगा सकते है खासकर शिक्षा व्यवस्था से सम्बंधित नीतियों को समझे तो पिछले कुछ वर्षों को  देखें तो इसका अंदाज़ा लगाना कुछ खास मुश्किल नहीं है।

स्वागत है आपका uveeright पर  हमारे देश की वर्तमान सरकार   जिसतरह से अपनी शैक्षिक नीतियों का प्रचार कर रही थी फिर चाहे गरीब बच्चों को मुफ़्त में बड़े विद्यालयों में दाखिला करना हो, नई शिक्षा नीति 2020 हो या शिक्षकों की भर्ती के लिए  लिया गया फैसले हो  जो कि 2018 से सब तक नहीं हो पाई है । या अन्य और भी शिक्षा सम्बंधित फैसले हो ये सभी नीतियां देखा जाए तो अपने प्रचार के समय बेहद आकर्षक लगती है लेकिन जब इन्हें सही से समझ जाए तो किसी धोखे से कम नहीं होती है यदि इनको गहनता से समझा जाए तो ये ब्लॉग काफ़ी लंबा हो जाएगा। इसको संक्षेप में समझे तो आज के हालत कुछ भी हो मगर सबकुछ सरकार के हिसाब से ही होता नजर आ रहा है । जहां जनता को लगता है  कि धरना प्रदर्शन करके सरकार उनकी सुनेगी वही सरकार ये जानती है कुछ दिन शोर मचेगा और फिर सब शांत हो जाएगा या कैसे शांत करवाना है । वर्तमान में अध्यापक खासकर ऑनलाइन अध्यापक  का जो धरना है उनके  शांत करवाने के लिए तो कोई नई डिजिटल नीति , सीबीआई जांच, इनकम टैक्स छापा या कोई और व्यवस्था। जैसे  सरकार जानती है कि चुप कैसे करना है। और रही बात इतने सारे प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की  जिसकी योजना सरकार पहले से बना ही रही थी बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवा कर जिसके अनुसार अब गरीब का बच्चा तो प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहा है अब  सरकारी विद्यालय की क्या जरूरत। और नई शिक्षक नीति की बात रही तो कागजों पर इंटर्नशिप, 75% नंबर को आगे मिलने वाली सुविधा जिसमें मूल्यांकन में कितनी पारदर्शिता है ये सभी कही न कही समझते है अब इसे दबाव कहा जाए या विद्यालयों की नीति , इन सब  से तो बच्चे पढ़ाई पर कम खुराफात पर ज़्यादा ध्यान देंगे जो ध्यान स्वयं को बेहतर बनाने में लगाना चाहिए था वो अब 75% कैसे बनाएं इसपर ज़्यादा है एक छात्र को ये साबित करने के लिए कि वह कुछ सीख रहा है उसके लिए 50% ही काफ़ी है।

सामान्यतः वर्तमान की सभी रेखांकित मुद्दों को देखा जाए तो आगे क्या होगा देश किस दिशा में जा रहा है ये समझना कोई मुश्किल कम नहीं है और इन समस्याओं से उभरने का एक ही रास्ता है वो है शिक्षा और सही समय पर व्यवस्थित रूप से अपनी बात रखना फिर जब जरूरत पड़े तो अपने हक के लिए ज़िद्दी भी बनो ।

                धन्यवाद !


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